अशोक नगर (मध्य प्रदेश, 29 अगस्त 2025):
मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले से एक ऐसी वारदात सामने आई है जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक पिता ने अपनी 17 वर्षीय बेटी को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वह अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी। हत्या को छुपाने के लिए पिता ने उसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की, लेकिन पुलिस जांच में पूरा मामला सामने आ गया।
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- घटना का पूरा विवरण
यह घटना अशोक नगर जिले के रघुनाथपुर गांव की है। यहां के निवासी बलीहर सिंह (47 वर्ष) की बेटी गुर्नीत कौर (17 वर्ष) पिछले कुछ महीनों से एक युवक से विवाह करना चाहती थी। लेकिन परिवार, विशेषकर पिता, इस रिश्ते के खिलाफ था।
घर में कई बार इस विषय पर विवाद हुआ। 27 अगस्त की रात विवाद इतना बढ़ गया कि बलीहर सिंह ने गुस्से में आकर बेटी का गला दबा दिया। जब लड़की की मौत हो गई तो पिता ने उसके शव को दुपट्टे से लटकाकर आत्महत्या जैसा दृश्य तैयार किया।
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- अंतिम संस्कार की जल्दबाजी ने जगाई शंका
हत्या के तुरंत बाद आरोपी पिता ने शव को उतारकर गांव में यह प्रचारित किया कि उसकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। हैरानी की बात यह रही कि शव का जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार कर दिया गया। आमतौर पर पुलिस की जांच और पंचनामा पूरा होने तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाता, लेकिन यहां सब कुछ जल्दबाजी में हुआ।
स्थानीय लोगों और कुछ रिश्तेदारों को इस पर शक हुआ। उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
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- पत्नी ने खोला पूरा राज़
जांच के दौरान पुलिस ने जब आरोपी की पत्नी और मृतका की मां से पूछताछ की तो उसने पूरा सच बता दिया। मां ने बताया कि उसकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि पति ने गुस्से में आकर उसकी हत्या कर दी। इस बयान के बाद पुलिस ने पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।
कड़ी पूछताछ में बलीहर सिंह ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
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- पुलिस की कार्रवाई
अशोक नगर पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (हत्या) और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह मामला साफ तौर पर ऑनर किलिंग (इज्जत के नाम पर हत्या) का है। पिता को यह मंजूर नहीं था कि उसकी बेटी अपनी मर्ज़ी से शादी करे, इसलिए उसने यह कठोर कदम उठाया।
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- ऑनर किलिंग क्या है?
ऑनर किलिंग का मतलब है – जब परिवार या समाज अपनी “इज्ज़त” बचाने के नाम पर किसी सदस्य की हत्या कर देता है। अक्सर यह तब होता है जब कोई लड़की या लड़का अपनी पसंद से शादी करना चाहता है, लेकिन परिवार जाति, धर्म या समाज की वजह से इसके खिलाफ होता है।
भारत में हर साल दर्जनों मामले सामने आते हैं जहाँ माता-पिता, भाई या रिश्तेदार अपने ही बच्चों को मौत के घाट उतार देते हैं। यह न केवल एक गंभीर अपराध है बल्कि मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
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- समाज में बढ़ती समस्या
मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में ऑनर किलिंग के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी जात-पात और पारिवारिक “इज्ज़त” को लेकर पुरानी सोच हावी है।
यहां लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार नहीं दिया जाता। परिवार को यह डर सताता है कि समाज क्या कहेगा। नतीजा यह निकलता है कि बेटियों की खुशियों और जिंदगी की कीमत पर माता-पिता अपनी झूठी प्रतिष्ठा बचाने में लगे रहते हैं।
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- कानून क्या कहता है?
भारत में ऑनर किलिंग को हत्या (IPC 302 / BNS 103) माना जाता है और इसके लिए मृत्युदंड या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में साफ कहा है कि किसी भी वयस्क को अपनी पसंद से शादी करने का पूरा अधिकार है और परिवार या समाज इसमें दखल नहीं दे सकता।
इसके बावजूद, कानून की सख्ती के बावजूद, मानसिकता बदलने में समय लग रहा है।
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- मनोवैज्ञानिक और सामाजिक असर
इस घटना में केवल एक बेटी की जान नहीं गई, बल्कि पूरा परिवार टूटकर बिखर गया है।
मां ने अपने पति का अपराध उजागर करके इंसाफ की राह चुनी, लेकिन अब वह समाज में अकेली पड़ गई है।
गांव के लोग भी इस मामले को लेकर दहशत और चर्चा में हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बेटी की इच्छाओं को समझना और उसका साथ देना बेहतर नहीं होता?
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- भविष्य के लिए सबक
अशोक नगर की यह वारदात हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करती है। समाज को यह समझना होगा कि:
इज्ज़त हत्या से नहीं, समझदारी और संवाद से बचती है।
बेटियों की इच्छाओं का सम्मान करना परिवार की जिम्मेदारी है।
सरकार और समाज को मिलकर ऐसे मामलों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने होंगे।
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- निष्कर्ष
मध्य प्रदेश का यह ऑनर किलिंग का मामला बेहद दर्दनाक है। एक पिता जिसने अपनी बेटी को जन्म दिया, उसी ने उसकी जान ले ली। कारण केवल यह था कि बेटी अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी। यह घटना साफ दिखाती है कि जब अंधविश्वास, पुरानी सोच और झूठी प्रतिष्ठा हावी हो जाती है, तो परिवार खुद अपने बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है।
अब वक्त है कि समाज को जागरूक किया जाए, ताकि हर बेटी सुरक्षित माहौल में अपनी जिंदगी जी सके और अपने फैसले खुद ले सके।
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